ऐसे होता इलाज रोगी को पीठ के बल लिटा दिया जाता है। इसके बाद घुटने पर उड़द की दाल के आटे से बनी पीठी (गुथा हुआ आटा) से एक रिंग बना देते हैं। चिकित्सक की देखरेख में इस रिंग के अंदर सहने योग्य औषधियुक्त गुनगुना तेल डालते हैं। रिंग के अंदर से तेल धीरे-धीरे बाहर निकलता रहता है और ऊपर से गुनगुने तेल को डालते रहते हैं।
कितनी सिटिंग :
एक सिटिंग के दौरान इस प्रक्रिया में लगभग 35-40 मिनट का समय लगता है। जरूरत के अनुसार विशेषज्ञ 5-7 या इससे ज्यादा सिटिंग के लिए मरीज को बुला सकते हैं।
ध्यान रखें: थैरेपी के तुरंत बाद स्नान न करें। साथ ही इसके बाद कुछ देर एसी में न बैठें।
लाभ: इससे घुटने का दर्द, सूजन व जकड़न दूर होने से हल्कापन आता है। औषधियुक्त तेल के सेंक से घुटने की मांसपेशियों, हड्डी व नसों को पोषण मिलता है। जोड़ लचीला होने से रक्तसंचार बढ़ता है।
जानू बस्ती में किस तेल का उपयोग किया जाता है?
जानुवस्ती और हल्के अभ्यंग (मालिश) में इस्तेमाल होने वाले तेल हैं क्षीरबाला तैलम, महानारायण तैलम, महामाशा तैलम, कोट्टमचुक्कड़ी तैलम, बालशवगंधादि तैलम, अश्वगंधबालालक्षदि तैलम, सहचारदी तैलम, मुरिवेन्ना, पिंडा तैलम, तिक्तकुल घृतम, गुग्त्तक घृतम, गुग्तका घृतम तिल का तेल)।